Hanuman or Bhim Ki Kahani | कोई व्यक्ति जब अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर लेता है तो वह स्वयं को सबसे ऊपर समझता है. वह सोचता है कि हर कोई उससे नीचे है. पर क्या आप जानते हैं कि यह घमंड आपके पतन का कारण भी बन सकता है. जी हां मनुष्य को कभी भी किसी चीज के लिए घमंड नहीं करना चाहिए अन्यथा आपको इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है. अगर आप कामयाबी हासिल करते हैं तो आपको इसपर बिल्कुल भी अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि समय का फेर बदलते देर नहीं लगती.
जानिए हनुमान जी और भीम की यह कहानी
इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण भगवान हनुमान और भीम से जुड़ी द्वापर युग की कहानी है. इसके अनुसार, भीम को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था, मगर हनुमान जी ने भीम के घमंड को चूर- चूर कर दिया. अगर आप इस कहानी के बारे में नहीं जानते तो आइये हम आपकों पूरे वृतांत के बारे में बताते हैं.
इस कहानी के मुताबिक, द्वापर युग में जब पांडव वनवास काट रहे थे, तब वे उत्तर दिशा में गंधमादन पर्वत के पास रुके हुए थे. एक दिन द्रौपदी ने भीम को सुगंधित फूल लाने के लिए कहा. भीम, द्रौपदी की इच्छा पूरी करने के लिए फूल लाने के लिए निकल पड़े.
रास्ते में भीम को एक बूढा वानर दिखा जो अपनी पूंछ बिछाए रास्ते में लेटा हुआ था. भीम बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था. भीम ने बहुत घमंड और अहंकार भरे शब्दों में वृद्ध वानर से कहा कि वह अपनी पूंछ रास्ते से हटा दे. इसपर वानर ने कहा कि पूँछ लाँघ कर चले जाओ. भीम ने अहंकार दिखाते हुए ऐसा करने से इंकार कर दिया.
इस पर वृद्ध वानर ने कहा कि आप खुद मेरी पूंछ हटा दें. भीम बहुत बलशाली था, मगर जब वृद्ध वानर की पूंछ हटाने की कोशिश करने लगे तो पूंछ जरा सी भी नहीं हिली. भीम ने काफी कोशिश की, लेकिन पूंछ नहीं हिल पाई. इसके बाद, भीम को ज्ञात हो चुका था कि यह कोई साधारण वानर नहीं है. बलशाली भीम ने वानर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि कृपया आप अपना वास्तविक परिचय प्रदान करें.
इसके बाद, हनुमान जी ने भीम को अपने वास्तविक रूप में दर्शन दिए. हनुमान जी ने भीम से कहा कि आप पूंछ हटाने में सफल इसलिए नहीं हुए क्योंकि आपके बल के साथ अहंकार था. किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए बल के साथ विनम्रता होनी चाहिए. हनुमान जी ने कहा कि अहंकारी व्यक्ति का पतन निश्चित है.