Hanuman Ji Ka Naam Chiranjeevi Kaise Pada | सनातन धर्म में विभिन्न देवताओं की मान्यताएं हैं. इन्हीं देवताओं में से एक है हनुमान जी. हनुमान जी की महिमा अपरंपार है. श्री राम जी के परम भक्त हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. हनुमान जी को कई नाम से जाना जाता है. हनुमान जी, बजरंगबली, मारुतिसूत, अंजनी पुत्र, केसरीनंदन, महाबली, संकटमोचन जैसे नामों से जाने जाते है. हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. हनुमान जी का एक अन्य नाम चिरंजीवी भी है. चिरंजीवी का अर्थ होता है अमर. आज हम आपको बताएंगे कि आखिरकार हनुमान जी का नाम चिरंजीवी कैसे पड़ा.
कैसे पड़ा हनुमान जी का नाम चिरंजीवी
अगर इस कथा के बारे में बात करें तो रामायण के मुताबिक, जब हनुमान जी ने अशोक वाटिका पहुंचकर माता सीता को अंगूठी दी तो इसपर माता सीता ने हनुमानजी को चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद दिया था. इसके बाद, वह रावण के साथ युद्ध में श्री राम के मुख्य सहयोगी बने. हनुमान जी, श्री राम के परम भक्त थे इसका प्रमाण उन्होंने अयोध्या में सीना चिर के दिया.
वे एक परम भक्त की भांति हर दिन उनकी सेवा करते थे, मगर जब भगवान श्री राम ने गोलोक छोड़ने का विचार किया तो हनुमान जी को बहुत दुख हुआ. अपना दुःख लेकर बजरंगबली सीता जी के पास पहुँचे. हनुमान जी ने माता सीता कों कहा कि ‘माता आपने मुझे अमर होने का आशीर्वाद दिया, मगर यह नहीं बताया कि जब मेरे प्रभु राम धरती से चले जायेंगे तो मेरा यहां क्या औचित्य है’. माता सीता ने श्री राम का ध्यान किया और भगवान श्री राम नें दर्शन दिए. प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को फुसफुसाकर कहा था कि ‘पृथ्वी पर कोई भी प्राणी अमर नहीं है, लेकिन तुम्हे यह वरदान मिला हुआ है’.
आज भी पृथ्वी पर वास करते हैं संकटमोचन
ऐसा इसलिए क्योंकि जब तक इस धरती पर राम का नाम लिया जाएगा तब तक आप हमेशा लोगों की मदद करेंगे. भगवान श्री राम से यह बातें सुनकर हनुमान जी थोड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने आशीर्वाद को स्वीकार कर लिया. इसीलिए कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी धरती पर मौजूद है तथा जो भी सच्चे मन से श्री राम का नाम लेता है, हनुमान जी अवश्य ही उसकी सहायता करते हैं.